राहतगढ़ (किला और वॉटरफॉल)
सागर-भोपाल मार्ग पर करीब 40 किमी दूर स्थित यह कस्बा वॉटरफॉल के कारण अब एक बेहद लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है. लेकिन एक समय यह अपने कंगूरेदार दुर्ग, प्राचीर द्वारों, महल और मंदिरों-मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध था. अब इस दुर्ग के अवशेष बचे हैं.
बीना नदी के ऊंचे किनारे पर स्थित राहतगढ़ पुरावशेषों के अनुसार ग्यारहवीं शताब्दी में परमारों के शासनकाल में बहुत अच्छी स्थिति में था. कस्बे से करीब 3 किमी दूर स्थित किले की बाहरी दीवारों में कभी बड़ी-बड़ी 26 मीनारें थीं. भीतर पहुंचने के लिए 5 बड़े दरवाजे थे.
कालांतर में यहां हुई लड़ाइयों और देखरेख के अभाव में राहतगढ़ का वैभव अतीत की काली गुफा में दफन हो गया. अब सिर्फ उसके अवशेष बाकी हैं. सागर के स्थानीय निवासी बारिश के मौसम में यहां छुट्टी के दिन समय बिताने के लिए बड़ी संख्या में जाते हैं. शहर के आस-पास ऐसे स्थलों का अभाव होने के कारण यह पिकनिक मनाने का अत्यंत लोकप्रिय है.
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