सागर के इतिहास पर एक नजर
सागर नगर का इतिहास सन् 1660 से आरंभ होता है, जब ऊदनशाह ने तालाब के किनारे स्थित वर्तमान किले के स्थान पर एक छोटे किले का निर्माण करवा कर उस के पास परकोटा नाम का गांव बसाया था।
निहालशाह के वंशज ऊदनशाह द्वारा बसाया गया वही छोटा सा गांव आज सागर के नाम से जाना जाता है। परकोटा अब शहर के बीचों-बीचों स्थित एक मोहल्ला है। वर्तमान किला और उसके अंदर एक बस्ती का निर्माण पेशवा के एक अधिकारी गोविंदराव पंडित ने कराया था। सन् 1735 के बाद जब सागर पेशवा के आधिपत्य में आ गया, तब गोविंदराव पंडित सागर और आसपास के क्षेत्र का प्रभारी था।
विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित यह जिला पुराने समय से ही मध्य भारत का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। सागर के आरंभिक इतिहास की कोई निश्चित जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन पुस्तकों में दर्ज विवरणों के अनुसार प्रागैतिहासिक काल में यह क्षेत्र गुहा मानव की क्रीड़ा स्थली रहा।
पौराणिक साक्ष्यों से ऐसे संकेत मिलते हैं कि इस जिले का भूभाग रामायण और महाभारत काल में विदिशा और दशार्ण जनपदों में शामिल था। इसके बाद ईसा पूर्व छटवीं शताब्दी में यह उत्तर भारत के विस्तृत महाजनपदों में से एक चेदी साम्राज्य का हिस्सा बन गया। इसके उपरांत ज्ञात होता है कि इसे पुलिंद देश में सम्मिलित कर लिया गया पुलिंद देश में बुंदेलखंड का पश्चिमी भाग और सागर जिला शामिल था।
संजय जी आपकी वेबसाइट को एक वर्ष होने पर बहुत-बहुत बधाई. भूपेंद्र चुंडावत, उदयपुर
अच्छा प्रयास है.
आप के इस वाक्य में “लिए” शब्द छूट गया है>>
“आपका संदेश हमारे महत्वपूर्ण है. धन्यवाद.”
ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया कविता जी. गलती सुधार दी है.
hello sanjay
आप के मौलिक लेख के लिए आपसे पूछने की कोशिश की थी। पर शायद ईमेल न ढूंढ पाने के कारण अनुमति नहीं ले पाया था। अगर आपकी अनुमति हो तो रखूं जैसा आपका आदेश हो
संपादक
yah bahut shandaar site hai. sagar ke bare me aur jankari lagayen.
कृपया इस वेबसाईट को नियमित रूप से अपडेट करें यह सागर के लिए बहुत ही शानदार प्रयास है सागर के बारे में इतनी जानकारी देखकर दिल खुश हो गया. आसपास के स्थानों के बारे में और विस्तार से जानकारी दीजिये. धन्यवाद
jan kar khusi hua , apka yah prayas Hindi Bhashi ke liya bahut upyogi hai . prof. kk rao se link milee . aap aur bhi jankariya dete rahe
धन्यवाद फिरोज खान साहब। जानकारियां नियमित रूप से जोड़ी जा रही हैं, आपको भी नियमित रूप से यहां आकर उन्हें देखना होगा… 🙂
web site ka ek sal pure hone par hardik badhai….
prof. ashwini kesharwani, champa
धन्यवाद अश्विनी जी। इस वेबसाइट को आरंभ हुए दो साल पूरे हो चुके हैं। एक साल पूरा होने पर भी आपने शुभकामनाएं प्रेषित की थीं जो दूसरे पन्ने पर हैं। उसे देखने के लिए आप मूल जालस्थल के इस पन्ने पर जाएं। लिंक दे रहा हूं। <https://www.dailyhindinews.com/sagar-city/university-of-sagar/>
एक बार पुन: शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद।